नवांशहर / नवांशहर में एक महिला के साथ शासकीय डॉक्टरों द्वारा लापरवाही बरतने का मामला सामने आया है। ऑपरेशन के एक साल बाद महिला की जान पर बन आई, जिसके बाद उसका दोबारा ऑपरेशन किया गया। इस दौरान महिला के पेट से पट्टियों का गुच्छा निकाला गया है। फिलहाल महिला अपने पैरों पर खड़ी होने में असमर्थ है। वहीं, महिला के परिजन डॉक्टर पर लापरवाही बरतने के आरोप में कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। एसएमओ ने शिकायत मिलने के बाद जांच करने की बात कही है।
क्या है मामला
जिले के गांव मझोट की रंजना कुमारी ने बताया- पिछले साल जब वह गर्भवती थी तो उसका ट्रीटमेंट सरकारी अस्पताल बलाचौर में ही चल रहा था। 11 मार्च को बड़े ऑपरेशन के बाद उसने बेटे को जन्म दिया। 10 दिन बाद उसे छुट्टी मिली तो घर लौट आई। कुछ दिन बाद पैर सुन्न हो जाने की दिक्कत आने लग गई। निजी अस्पताल से इलाज करवाना शुरू किया, लेकिन इसी बीच पेट में दर्द चालू हो गया। आखिर तंग आकर पीजीआई चंडीगढ़ पहुंचे तो वहां बारीकी से जांच में पता चला कि पेट में कुछ गुच्छे जैसी चीज है। 11 फरवरी को ऑपरेशन किया तो डॉक्टर्स ने पेट से पट्टियों का गुच्छा निकाला।
रंजना कुमारी, उसके पति विनोद कुमार के अलावा सरपंच हीरा खेपड़ ने कहा कि स्थानीय सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से गरीब परिवार एक साल से परेशान हो रहा है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
डॉक्टर्स की दलीलें
इस संबंध में डिलीवरी के वक्त तैनात डॉक्टर रूबी ने बताया कि ऑपरेशन में बच्चे के जन्म के बाद टांके लगाने का काम डॉक्टर दीपाली का था। मैंने कोई लापरवाही नहीं बरती। इसके अलावा डॉ. दीपाली ने भी किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरते जाने की बात कही है। उधर, बलाचौर के एसएमओ डॉ. रविंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि हर महीने 80 के करीब डिलीवरी की जाती हैं। हालांकि ऐसी लापरवाही का चांस नहीं है और न ही संबंधित परिवार की तरफ से कोई शिकायत मिली है। लिखित शिकायत आने के बाद जांच की जाएगी और अगर लापरवाही हुई है तो कार्रवाई भी जरूर होगी।