अहमदाबाद / गुजरात में राज्यसभा की 4 सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव है। इस चुनाव को लेकर भाजपा-कांग्रेस की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 4 सीटों में इस समय भाजपा के पास 3 और कांग्रेस के पास एक सीट है। इस चुनाव में भाजपा एक सीट पर चुनाव हार सकती है। इस एक सीट को बचाने के लिए भाजपा की नजर कांग्रेस के 10 विधायकों पर है। इस दौरान भाजपा की व्यूह रचना में कई बदलाव आ चुके हैं।
इस बार भी होगी रस्साकसी
2017 में राज्यसभा चुनाव के दौरान जो रस्साकसी हुई थी, वैसी ही इस बार भी होने की पूरी संभावना है। भाजपा अपनी एक सीट बचाने के लिए कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने में लगी है। दूसरी ओर कांग्रेस अपने विधायकों को बचाने के साथ-साथ भाजपा के असंतुष्ट विधायकों को तोड़ने का पूरा प्रयास कर रही है। इस चुनाव के लिए फार्म भरने की आखिरी तारीख 13 मार्च है।
गृह राज्यमंत्री ने कांग्रेस के विधायकों को खुला ऑफर दिया था
कुछ दिनों पहले गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने विधानसभा में ही कांग्रेस के विधायकों को भाजपा में आने के लिए खुला ऑफर दिया था। उनका कहना था कि चुनाव आ रहे हैं, जिसे आना हो, वह आ सकता है। इस बाद मीडिया के सामने भी उन्होंने कहा था कि कांग्रेस के कई विधायक पीएम नरेंद्र मोदी की कार्यशैलेी से प्रभावित हैं, इससे यह साफ है कि कई लोग भाजपा में आ सकते हैं।
कांग्रेस में आंतरिक असंतोष-सीएम
आज सीएम विजय रूपाणी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कांग्रेसशासित राज्यों में व्यापक असंतोष है। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बहुत ही सही निर्णय लिया है। कांग्रेस चारों तरफ से असंतोष से घिर गई है। उसके अंदर व्यापक असंतोष है। गुजरात के राज्यसभा चुनाव पर उन्होंने कहा कि दिल्ली में मंगलवार को बैठक हुई। वहां से ही सब कुछ होगा। हम तो उस पर ध्यान ही नहीं दे रहे हैँ। सभी जानते हैं कि गुजरात की स्थिति कैसी है। गुजरात में नेता बदलने के लिए अंदर ही अंदर कुछ चल रहा है, परंतु इसे हम आंतरिक मामला ही कहेंगे।
सौराष्ट्र-उत्तर गुजरात के 10 विधायक तोड़ने की जवाबदारी सौंपी
राज्यसभा में भाजपा अपनी एक सीट खो सकती है। ऐसे में भाजपा ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की रणनीति बनाई है। इसमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए और मंत्री भी बने। ऐसे विधायकों और नेताओं को कांग्रेस के विधायकों को भाजपा में लाने की जवाबदारी सौंपी गई है। इसमें कांग्रेस के सौराष्ट्र और उत्तर गुजरात के 10 कांग्रेसी विधायकों को भाजपा में लाने की कोशिशें की जा रही हैं। इन्हें भाजपा में महत्वपूर्ण पद का भी लालच दिया जा रहा है।
क्रॉस वोटिंग कर सकते हैं कांग्रेस के विधायक
इस बार भाजपा कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने के बदले क्रॉस वोटिंग करवा सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि इस बार भाजपा ने अपनी रणनीति बदली है। इस बार वह कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने के बजाए राज्यसभा के चुनाव में उनसे क्रॉस वोटिंग करवा सकती है। इन हालात में राज्य सभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग कर चुनाव के बाद वे विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा दे सकते हैं।
कोई भाजपा में आना चाहे, तो उनका स्वागत-नीतिन पटेल
गृह राज्यमंत्री ने कांग्रेस के विधायकों को खुला ऑफर दिया था। इस पर उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल ने कहा कि हमारी कार्यशैली से प्रभावित होकर विधायकों में भाजपा में आने का आकर्षण बढ़ रहा है। यदि कोई भाजपा में आना चाहे, तो उनका स्वागत है। हम उन्हें स्वीकारने के लिए तैयार हैँ।
भाजपा के पास 7 और कांग्रेस के पास 4 सीटें
राज्य सभा चुनाव में गुजरात की स्थिति देखें, तो हर राज्य को राज्यसभा की तय सीटें आवंटित हैं। इस आवंटन के अनुसार गुजरात के हिस्से 11 सदस्य आते हैं। इसमें हाल में भाजपा के पास 7 और कांग्रेस के पास 4 सीटें हैं। अस समय कांग्रेस से मधुसूदन मिस्त्री, अहमद पटेले, अमीबेन याज्ञिक और नारण राठवा राज्ससभी सदस्य हैं। कांग्रेस से राज्यसभा में सबसे अधिक जीतने का रिकॉर्ड अहमद पटेल के नाम है। अहमद पटेल कुल 5 बार राज्यसभा चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा के तीन सांसद शभू प्रसाद टुंडिया, लालसिंह वडोदिया और चुनीभाई गोहिल और कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री का कार्यकाल इस बार समाप्त हो रहा है।
राज्यसभा चुनाव का गणित
इन चारों सीटों पर चुनाव एक साथ होने हैं। ऐसे में हर प्रत्याशी को एक समान प्रिफरेंस वोट चाहिए। इस कारण फार्मूला यह है कि जितनी सीट पर चुनाव होने हैं, उसमें एक जोड़कर उस संख्या का कुल उपलब्ध सांसदों की संख्या के साथ भाग किया जाता है। इससे जो पूर्णांक आता है, उसमें एक जोड़ने पर जो संख्या आती है, उतने वोट एक उम्मीदवार को जीतने के लिए चाहिए। इस समय राज्यसभा में 4 सीटें खाली होंगी। इसमें एक जोड़ने पर संख्या 5 होती है। कुल सांसद 179 हैं।(भाजपा के 103, कांग्रेस के 72, बीपीटी 2, एनसीपी 1, निर्दलीय 3 सीटें खाली हैं), इससे इसे 5 से भाग देने से यह संख्या 35.8 होती है। इसमें एक जोड़ दें, तो हो जाती हैं 36.8। इसे पूर्णांक में बदलें, तो होती है 37, इस तरह से 37 वोट की आवश्यकता है। इसमें तीन सीटें प्राप्त करने े लिए भाजपा को कुल 111 विधायकों की आवश्यकता होती है। परंतु भाजपा के पास इस समय 103 विधायक हैँ। कांग्रेस के पास 72 हैं। इससे कांग्रेस को दो सीटें जीतने के लिए 74 वोट की आवश्यकता पडे़गी। कांग्रेस को दो वोट की कमी होगी। इसकी भरपाई निर्दलीय विधायक मेवाणी और बीटीपी के दो सदस्यों को साथ में लाने से हो जाएगी। इससे भाजपा को 3 सीटें जीतने के लिए 8 सदस्यों की कमी पड़ सकती है।