बेहतर ट्रैफिक के लिए नया प्लान, 795.61 किमी नई सड़कें बनेगी; रोड किनारे फ्री पार्किंग देने का सुझाव

भोपाल / भोपाल में 1971 से अब तक आबादी 4.5 गुना बढ़ी, जबकि वाहनों की संख्या 87 गुना बढ़ गई है। वाहनों की इस बढ़ती संख्या से बिगड़ते ट्रैफिक की एक बड़ी वजह पिछले मास्टर प्लान में प्रस्तावित ज्यादातर सड़कों का निर्माण नहीं होना थी। इसके साथ ही शहर में पार्किंग स्थल भी डेवलप नहीं हो पाए। नतीजा ये हुआ कि 10 नंबर जैसे बाजारों में आने वाले 96 फीसदी वाहनों को पार्किंग के लिए जगह नहीं मिलती। इस समस्या से निपटने के लिए नए ड्राफ्ट में 795.61 किमी सड़कें प्रस्तावित की गईं हैं। कहा जा रहा है कि इन सड़कों के निर्माण के लिए जहां एक तरफ टीडीआर (ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स) का उपयोग किया जाएगा। वहीं प्रीमियम एफएआर से मिलने वाली राशि से ये सड़कें बनाईं जाएंगी। मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में अनुमान लगाया गया है कि प्रीमियम एफएआर से सरकार को 8572 करोड़ रुपए मिलेंगे। टीडीआर से 1057.80 करोड़ की बचत होगी। इस तरह से 9629.80 करोड़ रुपए विकास कार्य के लिए लगाए जा सकेंगे। तर्क दिया जा रहा है कि पिछला प्लान फिजिकल सर्वे के आधार पर बना था इसलिए नक्शे पर ले आउट और मौके की स्थिति में अंतर आ गया। जबकि इस बार जीआईएस बेस्ड मैप का इस्तेमाल किया गया है, इसलिए बेहतर ले आउट बने हैं।


नए मास्टर प्लान में सड़कों को लेकर प्रमुख सुझाव


बीआरटीएस, मेट्रो और पार्किंग सुविधाओं के विकास के लिए सड़क की चौड़ाई बरकरार रखना जरूरी है।


प्लानिंग एरिया के गांवों की सड़कों और पगडंडियों का उपयोग नई सड़कों के निर्माण के लिए हो।


सड़कों का अलाइनमेंट तय करने के लिए ज्यादातर शासकीय भूमि का ही उपयोग किया जाएगा।


18 मीटर चौड़ाई की सभी मौजूदा और प्रस्तावित सड़कें मास्टर प्लान के नक्शे पर हैं।


प्रस्तावित इंडस्ट्रीयल एरिया की सड़कों की प्लानिंग 75 वर्षों की जरूरत को देखते हुए की गई है


कौन सी सड़क कौन सी एजेंसी बनाएगी, यह भी मास्टर प्लान में तय किया जाएगा 


प्रस्तावित सड़कें 
 

























18 मीटर    234.46 किमी
 
24 मीटर    214.92 किमी
 
30 मीटर    105.21 किमी
 
45 मीटर    118.54 किमी
 
60 मीटर    118.29 किमी

26 में से 19 सड़कें निरस्त 


मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में पिछले प्लान की 26 सड़कों की स्थिति का आकलन स्पष्ट रूप से दिया गया है। इनमें से 19 सड़कों को निरस्त कर नई सड़कें प्रस्तावित की गईं हैं और 7 सड़कों के ले आउट बदले गए हैं। 11 मील से भौंरी तक 52 किमी के 60 मीटर बायपास को रिंग के रूप में कंपलीट करने के लिए पश्चिम दिशा में 60 मीटर की बजाय 45 मीटर चौड़ी सड़क प्रस्तावित की गई है।


1995 के प्लान की इन सड़कों का ले आउट बदला


इंदौर रोड से भौंरी


अयोध्या बायपास से आरजीपीवी होते हुए एयरोसिटी


नरेला शंकरी से अरेड़ी


अयोध्या बायपास से नरेला शंकरी होते हुए सेवनिया ओंकार


बर्रई से सलैया होते हुए गेहूंखेड़ा


सनखेड़ी से नयापुरा कोलार होते हुए चिचली।   


पार्किंग समस्या से निपटने के लिए बने डिटेल प्लान
मास्टर प्लान में सुझाव दिया गया है कि सड़क किनारे वाहनों की पार्किंग को मुफ्त किया जाना चाहिए। पार्किंग की समस्या से निपटने के लिए विस्तृत प्लान बनाने का सुझाव दिया गया है। प्लान में निजी भवनों में मल्टीलेवल पार्किंग को एफएआर से मुक्त करने और बिल्डिंग के सामने वाहन पार्किंग की अनुमति देने जैसे प्रावधान किए गए हैं।


इतने वाहनों को नहीं मिलती पार्किंग  


एक्सपर्ट व्यू - एफएआर से आय का अनुमान वास्तविक नहीं
 प्लानिंग एरिया बढ़ने और 18 मीटर चौड़ी रोड को भी प्लान में शामिल करने से सड़कों की संख्या और लंबाई काफी बढ़ गई है। सड़कों का नेटवर्क इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि लैंडयूज सड़कों की चौड़ाई के हिसाब से तय होगा। सड़क निर्माण के लिए प्रीमियम एफएआर के जरिए 8572 करोड़ जुटाने की बात कही है लेकिन सिर्फ मास्टर प्लान में प्रावधान से प्रीमियम एफएआर लागू नहीं होगा। नए सिरे से नियम बनाना होंगे। दूसरा भोपाल शहर में प्रीमियम एफएआर से 8572 करोड़ की आय का अनुमान भी वास्तविक नजर नहीं आ रहा है।  -वीपी कुलश्रेष्ठ, पूर्व ज्वाइंट डायरेक्टर, टी एंड सीपी