भोपाल। पिछली भाजपा सरकार के समय बनाई गईं 30 नई नगर परिषदों में से 22 को तोड़कर फिर ग्राम पंचायतों में विभाजित कर दिया गया है। इन क्षेत्रों में अब निकाय के बजाय पंचायत के चुनाव होंगे। अन्य 8 नगर परिषद बरकरार रहेंगी। राज्यपाल की मंजूरी के बाद इस संबंध में कार्रवाई की गई है। भाजपा सरकार ने 2016 में 21 और 2018 में 9 नई नगर परिषदों का गठन किया था। इसके लिए कई जगह नियम को शिथिल भी किया गया था। नियमानुसार नगर परिषद के लिए 20 हजार की आबादी जरूरी है। इसमें जोड़-तोड़ कर दूर-दूर की ग्राम पंचायतों को मिलाकर नगर परिषद लायक बना दिया गया। अन्य मापदंड भी पूरे नहीं हो रहे थे। ग्राम पंचायतों के लिए केंद्र से ग्रांट मिलती है, जबकि नगरीय निकायों के लिए अलग-अलग स्कीम हैं। नगरीय प्रशासन के सूत्रों के अनुसार नगरीय निकाय बनने से केंद्र की ग्रांट मिलना बंद हो जाएगी। उसके बदले में नगरीय निकाय को उतनी सहायता नहीं मिलती। कांग्रेस सरकार आने के बाद इनका परीक्षण किया गया। नियमानुसार गठन नहीं होने से उच्च स्तर पर इन्हें वापस ग्राम पंचायत बनाने के निर्देश दिए। इसके पीछे केंद्र से मिलने वाली ग्रांट पर पड़ने वाला असर भी एक कारण था। कैबिनेट में 30 नगर परिषदों को विघटित करने का प्रस्ताव आया था, लेकिन कुछ मंत्रियों ने इस पर आपत्ति की और उनके क्षेत्र में गठित परिषदों को बनाए रखने की मांग की। इसके बाद 22 नगर परिषदों को विघटित करने का फैसला हो गया।
8 नगर परिषद बरकरार
ग्वालियर जिले में मोहना, पन्ना में गुन्नौर, गुना में मधुसूदनगढ़, अशोक नगर में पिपरई, शिवपुरी में पोहरी और मगरौनी, बड़वानी में निवाली बुजुर्ग और अनूपपुर जिले में वनगंवा।
ये नगर परिषद विघटित: सागर जिले में मालथौन, बांदरी, बिलहरा व सुरखी, शिवपुरी जिले में रन्नौद, भिंड जिले में रौन व मालनपुर, खरगोन जिले में बिस्टान, बड़वानी जिले में ठीकरी, धार जिले में बाग व गंधवानी, रीवा जिले में डभौरा, सिवनी जिले में केवलारी व छपारा, हरदा जिले में सिराली, बैतूल जिले में घोड़ाडोंगरी व शाहपुर, मंदसौर जिले में भैंसोदा मंडी, शहडोल जिले में बकहो, अनूपपुर जिले में डोला व डूमरकछार और उमरिया में मानपुर।