शुभ घड़ी आईएसबीटी; मेट्रो स्टेशन के पास बनेगा बस स्टैंड, काम शुरू

शुभ घड़ी आईएसबीटी; मेट्रो स्टेशन के पास बनेगा बस स्टैंड, काम शुरू


इंदौर / आठ साल की जद्दोजहद के बाद अब जाकर आईएसबीटी की सारी बाधाएं दूर हुई हैं। एमआर-10 पर कुमेड़ी में 81 करोड़ की लागत से 25 एकड़ में बस स्टैंड का काम शुरू हो गया है। आईडीए इसे 16 महीने में बनाने की कोशिश करेगा। प्रोजेक्ट इंचार्ज रमण महाजन के मुताबिक आईएसबीटी की बिल्डिंग में एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं मिलेंगी। 1500 बसों के लिए अलग-अलग व्यवस्था होगी। पास में ही मेट्रो स्टेशन से सीधी कनेक्टिविटी होगी, ताकि लोग सीधे मेट्रो ट्रेन से उतरकर बस ले सकें। बिल्डिंग में 35 दुकानें, 5 रेस्त्रां रहेंगे व 80 हजार यात्रियों के आवागमन को देखते हुए पुख्ता इंतजाम होंगे।



यात्रियों को मिलेगी लॉन्ग टर्म पार्किंग की व्यवस्था
आईएसबीटी में ग्राउंड, फर्स्ट और बेसमेंट फ्लोर होंगे। बेसमेंट में 315 कारों की पार्किंग की जाएगी। साथ ही 315 कार टैक्सी व ऑटो के लिए और 650 टू-व्हीलर पार्किंग होगी। लॉन्ग टर्म पार्किंग की व्यवस्था भी होगी ताकि लोग कुछ दिनों तक गाड़ियां पार्क कर सफर पर जा सकें। पूरा परिसर ग्रीन बिल्डिंग कॉन्सेप्ट पर होगा और एयर कूल्ड होगा, जिसमें 26 डिग्री का तापमान मेंटेन किया जाएगा।


एयरपोर्ट जैसी सुविधाएं, टिकट काउंटर 280 लोगों के लिए, एक बूथ पर 20 सीट



  •  इनक्वायरी और इनफार्मेशन काउंटर अलग होंगे।

  •  वेटिंग हॉल, मेडिकल इमरजेंसी, पुलिस कंट्रोल रूम होगा।

  •  क्लॉक रूम और स्टोर। पब्लिक टॉयलेट और पीने का पानी।

  •  वीआईपी लाउंज। महिलाओं का अलग लाउंज होगा।


सुलझा विवाद... डिजाइन बदलते ही किसान खुश, अब 26% जमीन मिलेगी
आईडीए सीईओ विवेक श्रोत्रिय ने बताया 22 किसानों की जमीनें आ रही थीं। उनके सात ग्रुप तैयार कर दिए हैं। चार ग्रुप की रजिस्ट्रियां भी हो गई हैं और बाकी प्रोसेस में है। साइट पर काम भी शुरू हो गया है। टारगेट 21 महीने का है लेकिन हमारी कोशिश है कि इसे 16 महीने में ही तैयार कर दिया जाए। आईएसबीटी स्कीम 139 और 169 ए की जमीन पर बन रहा है। आईडीए के रिजोल्यूशन के अनुसार मेन रोड से लगे प्लॉट के बदले किसानों को 20 प्रतिशत जमीन दी जाती है जबकि पीछे के हिस्से में 26 प्रतिशत जमीन। पहले की डिजाइन में किसानों को सड़क सामने होने से 20 प्रतिशत जमीन ही मिल रही थी। डिजाइन बदलते ही आईएसबीटी मेन रोड पर आ गया और जमीनें पिछले हिस्से में चली गईं। अब 26 प्रतिशत जमीन मिलने से किसान संतुष्ट हैं।