इंदौर/ सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने सरकार की तीर्थ दर्शन योजना को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने इस योजना को फिजूलखर्ची बताया। कहा- मेरा व्यक्तिगत मानना है कि धार्मिक आयोजन करना सरकार का काम नहीं है। मैं सरकार के खर्च पर तीर्थयात्रा के खिलाफ हूं। इसमें खर्च होने वाली राशि शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर लगाया जाना चाहिए।
मंत्री सिंह ने कहा- तीर्थ दर्शन योजना में लोग भक्ति भाव से नहीं, बल्कि घूमने-फिरने के लिए जाते हैं। उन्होंने लोगों को सलाह देते हुए कहा कि खुद के मेहनत के रुपयों से भगवान के दर पर जाएंगे तो उनके जीवन में खुशहाली आएगी। ऐसी योजनाएं विकास के बजाय सिर्फ वोटरों को लुभाने के लिए शुरू की गई हैं। अब उन्हें बंद किया जाना चाहिए।
हर अच्छे काम को बंद कर रही सरकार
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीर्थ दर्शन योजना के तहत ट्रेन निरस्त होने पर कड़ी अपत्ति जताई। सिंह ने कहा- ये भावनात्मक संबंधों को क्या समझेंगे। जो सक्षम और समर्थ नहीं हैं, उन बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा करवाना पवित्र कार्य है। उन्हें (कांग्रेस सरकार) तो हर अच्छे कामों को बंद करना है, वे यही कर रहे हैं।
शिवराज ने शुरू की थी तीर्थ दर्शन योजना
प्रदेश में भाजपा सरकार ने तीर्थ दर्शन योजना शुरू की थी। इस योजना के जरिए प्रदेश के बुजुर्गों को धार्मिक यात्राएं करवाया जाना था। शिवराज सरकार की इस महत्वकांक्षी योजना को कमलनाथ सरकार ने अभी जारी रखा है। हालांकि इस सरकार में धार्मिक यात्रा पर रवाना होने वालीं पांच ट्रेनों को रोक दिया गया था। इस यात्रा में बुजुर्गों को वैष्णो देवी, रामेश्वरम, तिरुपति, काशी और द्वारका धाम के दर्शन करवाना था। इसके लिए आईआरसीटीसी काे 17 करोड़ का भुगतान करना था, जो नहीं होने के कारण इसे टाल दिया गया था। 15 फरवरी को वैष्णो देवी के लिए जाने वाली ट्रेन को निरस्त करने के बाद मंत्री ने इस योजना को बंद करने की बात ही कह दी।