गार्डन की जमीन पर कैसे बनी चौपाटी

गार्डन की जमीन पर कैसे बनी चौपाटी


जबलपुर। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने टैगोर गार्डन की जमीन पर चौपाटी निर्माण के मामले को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए रक्षा संपदा मंत्रालय, महानिदेशक रक्षा संपदा, प्रमुख निदेशक रक्षा संपदा लखनऊ, कैंट बोर्ड के सीईओ राहुल आनंद शर्मा व पूर्व सीईओ बी रेड्डी शंकर बाबू को नोटिस जारी कर 5 मार्च तक जवाब मांगा है।


सदर गली नंबर 5 जबलपुर निवासी आबिद हुसैन ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर बताया कि आजादी के पूर्व 1917 में कैंटोमेंट क्षेत्र जबलपुर में गार्डन बनाया गया था। उस समय इसके लिए जमीन आरक्षित की गई थी। बाद में इस उद्यान का नाम टैगोर गार्डन रख दिया गया। वर्तमान जीएलआर (शासकीय भू-अभिलेख) में भी यह जमीन सर्वे नंबर 177 में दर्ज है। जीएलआर में इस भूमि का उपयोग उद्यान के लिए दर्ज है। साथ ही यह भी अभिलेख है कि इस जमीन का उपयोग परिवर्तिन नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके यहां चौपाटी का निर्माण कर दिया गया। सुनवाई के दौरान आबिद हुसैन ने स्वयं पक्ष रखते हुए बताया कि इस जमीन की लीज भी समाप्त हो गई है, जिसका नवीनीकरण नहीं कराया गया। इसके बावजूद कैंट बोर्ड ने टैगोर गार्डन की जमीन के एक बड़े हिस्से पर न्यू चौपाटी के लिए दुकानों का निर्माण करा डाला। उन्होंने कहा कि इसके लिए जमीन का उपयोग परिवर्तन नहीं कराया गया, ना ही कोई वैधानिक अनुमति ली गई। कैंट बोर्ड को गार्डन की जमीन को खुर्दबुर्द करने का कोई अधिकार नहीं है, दूसरे मदों के लिए जमा राशि से यह निर्माण कराया गया। इससे न केवल जनता के धन की बरबादी की गई, बल्कि कंटोन्मेंट क्षेत्र के नागरिकों को मनोरंजन के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया। प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका में बनाए गए अनावेदकों से जवाब-तलब कर लिया।