, हालात बेकाबू होने की आशंका
जोधपुर / पश्चिमी राजस्थान में टिडि्डयों का खतरा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब टिडि्डयों के अंडे देने का खतरा मंडरा रहा है। पाकिस्तान में भी टिडि्डयों ने बड़ी संख्या में अंडे दिए है और अब भारतीय क्षेत्र में भी ये अंडे देने की तैयारी में है। यदि अंडों से नए टिड्डे निकलना शुरू हो गए तो हालात पूरी तरह से बेकाबू हो जाएंगे। टिड्डी एक बार में सौ से अधिक अंडे देती है।
टिड्डी विशेषज्ञों का कहना है कि किसानों को टिडि्डयों पर नजर रखनी चाहिये कि उनका रंग कैसा है। यदि टिड्डी हल्के गुलाबी रंग की है तो अंडे देने का कोई खतरा नहीं है। वहीं टिड्डी यदि पीले रंग की है तो इस बात की पूरी संभावना है कि वह या तो अंडे दे चुकी है या फिर देने की तैयारी में है। ऐसे में किसानों को उनके अंडे देने वाले स्थान की तलाश कर उसमें से बच्चे निकलते ही उनका खात्मा करने की सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अंडे देते समय टिड्डी बहुत सुस्त होती है और एक ही स्थान पर बैठी रहती है। ऐसे में उन्हें मारना बहुत सुविधाजनक रहेगा।
टिडि्डयों का जीवन चक्र
टिडि्डयों का जीवन सामान्यतया तीन से छह माह का माना जाता है। जीवन के अनुकूल परिस्थितियां व भोजन मिलने पर ये छह माह तक जीवित रह सकती है। कीट विशेषज्ञ डॉ. हेमसिंह गहलोत का कहना है कि नमी वाले क्षेत्र में टिडि्डयां अंडे देती है। टिड्डी एक बार में बीस से दो सौ तक अंडे देती है। मादा टिड्डी जमीन में छेद कर अपने अंडों को सहेजती है। गरम जलवायु में दस से बीस दिन में अंडे फूट जाते है। वहीं सर्दियों में ये अंडे प्रसुप्त रहते है। शिशु टिड्डी के पंख नहीं होते तथा अन्य बातों में यह वयस्क टिड्डी के समान होती है। शिशु टिड्डी का भोजन वनस्पति है और ये पाँच छह सप्ताह में वयस्क हो जाती है। इस अवधि में चार से छह बार तक इसकी त्वचा बदलती है। वयस्क टिड्डियों में 10 से लेकर 30 दिनों तक में प्रौढ़ता आ जाती है और तब वे फिर अंडे देती हैं। टिड्डी का विकास आर्द्रता ओर ताप पर अत्याधिक निर्भर करता है। टिड्डी को मारने का सबसे बेहतरीन उपाय यहीं है कि अंडों के फूटते ही उन पर रसायन का छिड़काव कर दिया जाए, ताकि बच्चे वहीं पर नष्ट हो सके।
अपने वजन से ज्यादा खाती है फसल
सामान्यतया डेजर्ट टिड्डी अपने वजन से कही अधिक भोजन एकदिन में चट कर जाती है। हरी पत्तियां, उस पर लगे फूले, फसल के बीज आदि टिड्डी के पसंद के भोजन है. यह जिस पौधे पर बैठ जाती है उसे पूरी तरह से साफ कर देती है। टिड्डी के उड़ने की रफ्तार भी बहुत होती है। यह एक दिन में सौ से दो सौ किलोमीटर तक का सफर तय कर सकती है। टिडि्डयां कभी अकेले में नहीं रहती। ये लाखों के समूह में आगे बढ़ती है। तूफानी हवा में ही इनका समूह बिखरता है। इसके अलावा ये एकजुट होकर आगे बढ़ हमला बोलती है।