, दो घंटे बाद ही पेट दर्द से पीड़ित युवक की मौत
लुकवासा- शिवपुरी / पेट दर्द होने पर परिजन इलाज कराने के लिए एक युवक काे लुकवासा ले गए, जहां एक फर्जी डॉक्टर ने अपनी क्लीनिक पर उसे इंजेक्शन लगा दिया और गोली देकर घर भेज दिया। इंजेक्शन लगने के दो घंटे बाद युवक की मौत हो गई। दो साल पहले भी इसी फर्जी डॉक्टर के क्लीनिक पर इलाज कराने आई लगदा गांव की एक महिला की मौत हो गई थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की। उनकी लापरवाही से अब एक जान और चली गई। इस डॉक्टर पर न मेडिकल से संबंधित कोई डिग्री-डिप्लोमा है न क्लीनिक का पंजीयन, फिर भी वह कई सालों से बेखौफ ग्रामीणों का इलाज करता आ रहा है।
जानकारी के मुताबिक गणेशराम बाथम (23) पुत्र बाबूराम बाथम निवासी ग्राम रिजौदा की सोमवार की शाम करीब 5 बजे घर पर मौत हो गई। परिजन लाश घर पर रखकर सुबह होने का इंतजार करते रहे और मंगलवार की सुबह गणेशराम का शव लेकर कोलारस अस्पताल आए। यहां कोलारस थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई।
मृतक के भाई बलराम बाथम का कहना है कि गणेशराम को पेट दर्द की शिकायत थी। सोमवार की दोपहर 3 बजे इलाज कराने के लिए लुकवासा ले गए थे। यहां डॉ. गिर्राज श्रीवास्तव ने इंजेक्शन लगा दिया और एलोपैथिक दवाइयां भी दे दीं। इसके बाद वे गणेशराम को लेकर गांव रिजौदा आ गए। इंजेक्शन लगने के ठीक दो घंटे बाद गणेशराम की हालत बिगड़ी और दम तोड़ दिया। कोलारस थाना पुलिस ने कोलारस अस्पताल में मृतक का पीएम कराया है। पुलिस ने फिलहाल मर्ग कायम कर मामला विवेचना में ले लिया है। रिजौदा निवासी मृतक गणेशराम बाथम की तीन छोटी बेटियां हैं। मृतक मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करता था।
फर्जी डॉक्टर बोला- क्लीनिक नहीं, सब्जी की दुकान है... मैं तो चटनी-चूरन बेचता हूं
गणेशराम बाथम की मौत के बाद लगी भीड़।
इसी क्लीनिक में दो साल पहले महिला ने तोड़ा था दम
लगदा गांव के चंद्रपाल सिंह ने बताया कि दो साल पहले उनके परिवार की महिला लक्ष्मी बाई इलाज कराने डॉ. गिर्राज के पास गई थी। क्लीनिक के अंदर ही लक्ष्मीबाई ने दम तोड़ दिया था। लक्ष्मीबाई अक्सर डॉ. गिर्राज से ही अपना इलाज कराती थी। घटना के वक्त गिर्राज क्लीनिक बंद कर मौके से भाग गया था। बाद में महिला के परिजन से समझौता कर शपथ पत्र ले लिया। उस समय भी स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी।
सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नहीं, फर्जी डॉक्टर ही मजबूरी
प्राथमिक अस्पताल लुकवासा में स्थायी डॉक्टर नहीं है। कोलारस के अस्पताल डॉ. आनंद सप्ताह में एक दिन आते हैं। आयुष विंग के डॉ. गोपाल दंडौतिया पदस्थ हैं लेकिन एलोपैथी इलाज की सुविधा नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्र के मरीज गिर्राज जैसे फर्जी डॉक्टरों से इलाज कराने के लिए मजबूर हैं। लुकवासा में बिना पंजीयन 13 क्लीनिक संचालित हैं। स्वास्थ्य विभाग के अफसर इन क्लीनिकों पर कोई कार्रवाई नहीं करते।
अफसर लापरवाह क्योंकि
इसी क्लीनिक पर दो साल पहले हुई थी महिला की मौत फिर भी कार्रवाई नहीं
मैं वैद्य हूं, मैंने तो मरीज को कोलारस रैफर किया था
गणेशराम बाथम की मौत के बाद लुकवासा कस्बे में डॉ. गिर्राज का क्लीनिक मंगलवार को पूरे दिन बंद रहा। दैनिक भास्कर से फोन पर बातचीत में गिर्राज श्रीवास्तव ने कहा कि उसने अपने क्लीनिक से मरीज को कोलारस रैफर किया था। उसका इलाज नहीं किया। जब भास्कर संवाददाता ने परिजन के आरोप बताए तो गिर्राज कहने लगा कि मैं तो वैद्य हूं, देशी चटनी-चूरन बेचता हूं। जिस क्लीनिक में बैठता हूं, वह तो सब्जी की दुकान है।
कस्बे के सभी क्लीनिक की जांच करेंगे
परिजन इंजेक्शन और दवाइयों के कारण मौत की बात कह रहे हैं