नवाचार से विद्यार्थियों को खेल-खेल में पढ़ाएं तो बढ़ेगी उनकी उपस्थिति

, पढाई होगी रोचक





 

शिवपुरी / जिले के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 112 शिक्षकों ने 128 मॉडल बनाकर इन्हे देखने आए शिक्षक और विद्यार्थियों को बताया कि स्कूलों में इन नवाचार से विद्यार्थियों को खेल-खेल में पढ़ाएं तो बच्चो की रुचि बढ़ने के साथ साथ उनकी उपस्थिति भी बढेगी। खास बात यह रही कि कबाड़ से जुगाड़ अभियान के तहत वेस्ट मटेरियल का उपयोग कर ऐसे मॉडल शिक्षक बनाकर लाए इनका उपयोग यदि बच्चों को पढ़ाने में हो तो बच्चे कभी बोर हो नहीं होंगे।

गुरुवार को अरविंदो सोसाइटी ने शिक्षा विभाग के माध्यम से शून्य से नवाचार के प्रयोग कर शिक्षा में नवाचार कैसे हो। इस पर आइडिया मांगे थे। जिले के प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं के मिलाकर कुल 112 शिक्षक इसमें शामिल हुए जिन्होंने प्रदर्शन के दौरान यह बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता में यदि रोचकता आ जाए तो विद्यार्थियों को आसानी से हर बात समझ आ जाए।

इस दौरान 178 मॉडल शिक्षकों ने प्रदर्शित किए जिसका उद्घाटन एस पी राजेश सिंह चंदेल ने किया। इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार ने स्वागत भाषण देकर इस आयोजन की रुपरेखा प्रस्तुत की। और कार्यक्रम में बीआरसीसी अंगद सिंह तोमर ने इस दौरान एक एक काउंटर पर जाकर बारीकी से मॉडल का निरीक्षण किया।

कबाड़ से जुगाड़ अभियान
जिले के प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 112 शिक्षकों ने बनाए 128 मॉडल

शिक्षकों ने मॉडल बनाकर शून्य नवाचार दिखाया

हसुंआखेड़ी के रामलखन ने बनाया थर्माकोल से एंगल, जिससे बच्चे सीखेंगे कोण बनाना

हसुंआखेड़ी के शिक्षक रामलखन राठौर ने थर्माकोल से एंगल सीख का मॉडल बनाया। इस मॉडल में उन्होंने दर्शाया कि कागज की शीट और पुट्ठे का इस्तेमाल कर शून्य नवाचार कर ऐसा एंगल तैयार किया जिसमें न्यून कोण,समकोण,अधिक कोण आदि को बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।

पुराने पुट्ठों का इस्तेमाल कर ऐसी घड़ी बनाई जिससे सीख सकते हैं 128 शब्द

शिक्षक पुनीत मदान ने पुराने पुट्ठों को जोड़कर एक ऐसी घडी तैयार की जिसमें पहली सुई घूमने पर न केवल आप शब्दों को बनाना सीख सकते हैं वरन इसमें अंग्रेजी के यू एन का उपयोग कर उससे बनने वाले शब्दों को दर्शाया जैसे अन डू,अनकंर्फटेबल आदि। इसके साथ ही अंग्रेजी व्याकरण सहित 128 शब्दों को पढ़ने का रोल मॉडल बनाया जो खासा चर्चाओं में रहा।

महीनों की सीढ़ी बनाकर प्रियंका का नवाचार भी सराहा गया

इस दौरान प्राथमिक विद्यालय कपराना में पदस्थ शिक्षिका प्रियंका मदान ने कक्षा 1-5 तक के विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए ऊन की पुरानी सिलाई और कागज के रैफर को जोड़कर ऐसी महीनों की सीढ़ी बनाई। जिसमें साल के 12 महीने अंकित थे और उनके बगल से कान की बड्स के माध्यम से तारीखें भी अंकित थी कि किस महीने में कितनी तारीखें होती है। प्रियंका का नवाचार भी सराहा गया ।

गोल पुट्ठे के प्रयोग से शिक्षिका रजनी ने तैयार की मैथ्स लर्निंग मशीन

शून्य से नवाचार अभियान के अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय अनंतपुर में पदस्थ शिक्षिका रजनी जैन ने बताया कि उन्होंने स्कूल में एक खाली पड़े गोल पुट्ठे से पुरानी चूड़ियां की मदद से ऐसा यंत्र बनाया जिसमें मैथ्स की गुणा भाग और जोड़-घटाव के उपक्रम को रोचक तरीके से बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाकर समझाया जा सकता है।

बोतल से पानी बचाने का आइडिया सरकार ने दिल्ली बुलाकर सुना था

बोतल से पानी बचाने का आइडिया पिछली बार चर्चाओं में रहा। यह प्रयोग दर्रोनी की शिक्षिका अंजना दंडौतिया ने किया था। और देश भर में उनके प्रयोग को पुस्तिका में छापकर भेजा गया था। यही नहीं सरकार ने दिल्ली बुलाकर उनका आइडिया सुना था। वह भी इस दौरान अपना मॉडल बनाकर लाई जिसमें उन्होंने 2डी और 3 डी का प्रयोग करने माचिस,बोर्ड और कबाड़ की सामग्री से मॉडल तैयार किए थे। इस प्रयोग को भी दर्शकों ने जमकर सराहा।

सकारात्मक संदेश है यह