, गंदगी से परेशानी
दतिया / जगतजननी मां पीतांबरा पीठ की धरा दतिया शहर को साफ व स्वच्छ रखने के लिए नवंबर माह में चलाया गया स्वच्छता अभियान एक महीने बाद बंद हो गया और फिर दोबारा शुरू नहीं हो सका। जिस कारण शहर जितना साफ सुथरा हुआ था, एक महीने के अंदर पुन: गंदा हो गया।
खास बात यह है कि 9 दिसंबर को दतिया में पदस्थ हुए कलेक्टर रोहित सिंह ने भास्कर संवाददाता से बातचीत में कहा था कि स्वच्छता अभियान जारी रहेगा और कुछ नया भी किया जाएगा। लेकिन एक महीना होने को है, लेकिन कलेक्टर सिंह पूर्व में चले स्वच्छता अभियान को भी जारी नहीं रख सके। नया कुछ करना तो दूर की बात है। शहर के लोगों ने युवा कलेक्टर सिंह से शहर के विकास और कुछ नया करने की उम्मीदें तो लगाई लेकिन एक महीने के अंदर कुछ किसी भी क्षेत्र में कुछ भी नया देखने को नहीं मिला।
बता दें कि तत्कालीन कलेक्टर बीएस जामोद ने 1 नवंबर को मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस से शहर को साफ व स्वच्छ रखने के लिए स्वच्छता अभियान प्रारंभ किया था। अभियान लगातार एक महीने तक चला। हर दिन एसडीम, तहसीलदार, एसीईओ और नगर पालिका के साथ अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को वाट्स एप के माध्यम से जिम्मेदारियां सौंपी जाती थीं। प्रतिदिन कचरा फेंकने वाले और डस्टबिन का उपयोग न करने वालों से जुर्माना वसूलने की कार्रवाई हुई तो शहर साफ सुथरा नजर आने लगा था। सालों पुराने कचरे के ढेर भी खेल मैदान जैसे नजर आने लगे थे।
एक महीने के अंदर डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों से तकरीबन पौने दो लाख रुपए जुर्माना वसूलकर नगर पालिका को दिया गया। लेकिन मप्र शासन को तत्कालीन कलेक्टर जामोद का स्वच्छता अभियान रास नहीं आया और उनका स्थानांतरण कर युवा कलेक्टर सिंह की दतिया पदस्थापना की गई। नौ दिसंबर से अब तक कलेक्टर सिंह स्वच्छता, शिक्षा और सड़क, पानी, बिजली, किसी भी क्षेत्र में एक कदम आगे नहीं बढ़ा सके हैं। केवल मीटिंगों का दौर चल रहा है। इन मीटिंगों से जनता को कितना लाभ हो गया यह तो भविष्य के गर्तमय है।
चूनगर फाटक पर सड़क पर लगा पॉलिथीन और कचरे का ढेर।
मां पीतांबरा दर्शन के लिए आते हैं हजारों लोग
देश के कोने कोने से न्यायाधीश, राजनेता, अफसर मां पीतांबरा की शरण में पहुंचते हैं। पूरे देश में मां पीतांबरा की नगरी विख्यात है। यहां तक कि स्थानीय कलेक्टर समेत सभी अफसर, कर्मचारी मां से अपनी खुशामदगी के लिए प्रार्थना करने जाते हैं लेकिन कभी भी मां पीतांबरा की नगरी को साफ व स्वच्छ बनाने को लेकर गंभीर नहीं रहते हैं। इस बारे में कलेक्टर तत्कालीन कलेक्टर जामोद ने ही सोचा और अमल भी शुरू किया लेकिन उनकी उम्मीदें तब धरी रह गईं जब उनका स्थानांतरण हो गया।
जिला प्रशासन और नपा एक दूसरे पर निर्भर: जिला प्रशासन शहर को साफ व स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी मूल रूप से नगर पालिका की मानता है। जबकि नगर पालिका अब जिला प्रशासन के निर्देश, आदेशों पर निर्भर है। यही नहीं नपा के जिन अधिकारियों सीएमओ और एचओ पर शहर की साफ सफाई की जिम्मेदारी है वे वर्तमान में लंबे समय से अवकाश पर हैं। फिर से नगर पालिका प्रभारियों के भरोसे है।
शहर में फिर पाॅलिथीन से गंदगी
मां पीतांबरा की नगरी वर्ष 2008 में पवित्र नगरी घोषित हो चुकी है। पवित्र नगरी की सीमाएं भी निर्धारित की जा चुकी हैं। पूर्व में गंजी हनुमान मंदिर, पश्चिम में ठंडी सड़क, उत्तर में करन सागर और दक्षिण में अनामय आश्रम। इन सीमाओं के अंदर मांस, मदिरा, अंडा आदि प्रतिबंधित है। पॉलिथीन का उपयोग पूर्णत: वर्जित है। लेकिन अफसर किसी पर भी पूर्ण: पाबंदी नहीं लगा सके। एक महीने पहले पॉलिथीन बाजार में ढूंढे से नहीं मिलती थी, लेकिन नपा और जिला प्रशासन की कार्रवाई बंद होते ही फिर से बाजार, गली मोहल्लों में पॉलिथीन नजर आ रही है। कचरे के ढेरों में सबसे ज्यादा पॉलिथीन दिखाई दे रही है।
खास बात यह है कि 9 दिसंबर को दतिया में पदस्थ हुए कलेक्टर रोहित सिंह ने भास्कर संवाददाता से बातचीत में कहा था कि स्वच्छता अभियान जारी रहेगा और कुछ नया भी किया जाएगा। लेकिन एक महीना होने को है, लेकिन कलेक्टर सिंह पूर्व में चले स्वच्छता अभियान को भी जारी नहीं रख सके। नया कुछ करना तो दूर की बात है। शहर के लोगों ने युवा कलेक्टर सिंह से शहर के विकास और कुछ नया करने की उम्मीदें तो लगाई लेकिन एक महीने के अंदर कुछ किसी भी क्षेत्र में कुछ भी नया देखने को नहीं मिला।
बता दें कि तत्कालीन कलेक्टर बीएस जामोद ने 1 नवंबर को मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस से शहर को साफ व स्वच्छ रखने के लिए स्वच्छता अभियान प्रारंभ किया था। अभियान लगातार एक महीने तक चला। हर दिन एसडीम, तहसीलदार, एसीईओ और नगर पालिका के साथ अलग-अलग विभागों के अधिकारियों को वाट्स एप के माध्यम से जिम्मेदारियां सौंपी जाती थीं। प्रतिदिन कचरा फेंकने वाले और डस्टबिन का उपयोग न करने वालों से जुर्माना वसूलने की कार्रवाई हुई तो शहर साफ सुथरा नजर आने लगा था। सालों पुराने कचरे के ढेर भी खेल मैदान जैसे नजर आने लगे थे।
एक महीने के अंदर डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों से तकरीबन पौने दो लाख रुपए जुर्माना वसूलकर नगर पालिका को दिया गया। लेकिन मप्र शासन को तत्कालीन कलेक्टर जामोद का स्वच्छता अभियान रास नहीं आया और उनका स्थानांतरण कर युवा कलेक्टर सिंह की दतिया पदस्थापना की गई। नौ दिसंबर से अब तक कलेक्टर सिंह स्वच्छता, शिक्षा और सड़क, पानी, बिजली, किसी भी क्षेत्र में एक कदम आगे नहीं बढ़ा सके हैं। केवल मीटिंगों का दौर चल रहा है। इन मीटिंगों से जनता को कितना लाभ हो गया यह तो भविष्य के गर्तमय है।
चूनगर फाटक पर सड़क पर लगा पॉलिथीन और कचरे का ढेर।
मां पीतांबरा दर्शन के लिए आते हैं हजारों लोग
देश के कोने कोने से न्यायाधीश, राजनेता, अफसर मां पीतांबरा की शरण में पहुंचते हैं। पूरे देश में मां पीतांबरा की नगरी विख्यात है। यहां तक कि स्थानीय कलेक्टर समेत सभी अफसर, कर्मचारी मां से अपनी खुशामदगी के लिए प्रार्थना करने जाते हैं लेकिन कभी भी मां पीतांबरा की नगरी को साफ व स्वच्छ बनाने को लेकर गंभीर नहीं रहते हैं। इस बारे में कलेक्टर तत्कालीन कलेक्टर जामोद ने ही सोचा और अमल भी शुरू किया लेकिन उनकी उम्मीदें तब धरी रह गईं जब उनका स्थानांतरण हो गया।
जिला प्रशासन और नपा एक दूसरे पर निर्भर: जिला प्रशासन शहर को साफ व स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी मूल रूप से नगर पालिका की मानता है। जबकि नगर पालिका अब जिला प्रशासन के निर्देश, आदेशों पर निर्भर है। यही नहीं नपा के जिन अधिकारियों सीएमओ और एचओ पर शहर की साफ सफाई की जिम्मेदारी है वे वर्तमान में लंबे समय से अवकाश पर हैं। फिर से नगर पालिका प्रभारियों के भरोसे है।
शहर में फिर पाॅलिथीन से गंदगी
मां पीतांबरा की नगरी वर्ष 2008 में पवित्र नगरी घोषित हो चुकी है। पवित्र नगरी की सीमाएं भी निर्धारित की जा चुकी हैं। पूर्व में गंजी हनुमान मंदिर, पश्चिम में ठंडी सड़क, उत्तर में करन सागर और दक्षिण में अनामय आश्रम। इन सीमाओं के अंदर मांस, मदिरा, अंडा आदि प्रतिबंधित है। पॉलिथीन का उपयोग पूर्णत: वर्जित है। लेकिन अफसर किसी पर भी पूर्ण: पाबंदी नहीं लगा सके। एक महीने पहले पॉलिथीन बाजार में ढूंढे से नहीं मिलती थी, लेकिन नपा और जिला प्रशासन की कार्रवाई बंद होते ही फिर से बाजार, गली मोहल्लों में पॉलिथीन नजर आ रही है। कचरे के ढेरों में सबसे ज्यादा पॉलिथीन दिखाई दे रही है।