आदिवासियों ने किया आंगनवाड़ी में अंडे बांटे जाने का विरोध





टीकमगढ़ / भाई के ढ़ाबा से महज 3 किलोमीटर दूर नई बस्ती में रहने वाले आदिवासी परिवार के लोगों ने विरोध करते हुए कहा कि हम भूखे मर जाएंगे, लेकिन अपने बच्चों को आंगनबाड़ी में अंडा नहीं खाने देंगे। इसलिए मप्र सरकार आंगनवाडिय़ों में अंडा वितरण करने का अपना फैसला वापस ले।

आदिवासी लोगों ने कहा कि जो मु़ख्यमंत्री गाय को संरक्षण देने के लिए गौशालाएं खुलवा रहे हैं, वह अंडा बांटकर पाप का काम करेंगे तो निश्चित ही सरकार चली जाएंगी। हल्का आदिवासी ने कहा कि कुपोषण से मरना पसंद है, लेकिन अंडा खाना पसंद नहीं है। उन्होंने कहा कि धन गया कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया कुछ गया, लेकिन संस्कार गए तो सब कुछ चला गया। अंडा बांटने से गरीबों का कुपोषण दूर होगा यह जरूरी नहीं है, लेकिन सरकार का कुपोषण दूर जरूर हो जाएगा।

क्योंकि एक अंडा 2 रुपए का आना है और 6 रुपए का बिल डलना है, तो आप भी सोचो कि गरीबों का कुपोषण दूर होगा या अधिकारी और जनप्रतिनिधियों का। आदिवासी परिवारों की महिलाओं ने कहा कि यदि अंडा बांटा जाता है, तो हम अपने बच्चों को आंगनबाड़ी भेजना बंद कर देंगे।