, 27 की नजर कमजोर निकली
जिन बसों और ऑटो में बैठकर आप गंतव्य स्थान तक पहुंचने की यात्रा करते हैं,उन वाहन चालकों को दूर का साफ दिखाई नहीं देता। किसी की आखों से लगातार पानी झरता है तो किसी की आंखों की पास और दूर की नजर खराब हो गई है। ऐसे 27 वाहन चालकों को यह बीमारी निकली हैं। यही नहीं धूम्रपान और नशे के शिकार वाहन चालकों को डायबिटीज और हायपरटेंशन की बीमारी भी निकली है। जिनमें 18 वाहन चालक शामिल हैं।
यह खुलासा तब हुआ जब सोमवार को नए बस स्टैंड परिसर में यातायात विभाग ने यातायात सप्ताह के अंतर्गत बस और ऑटो चालकों की आंखों का परीक्षण कराया। 50 फीसदी से अधिक ऑटो चालकों की आंखों में कुछ न कुछ परेशानी पाई गई वहीं 2 बस चालक ऐसे भी निकले जिनकी आंखों से दूर का साफ नहीं दिखाई नहीं देता है। इन चालकों को दूर दृष्टि का चश्मा लगाने की नसीहत डॉक्टर्स ने दी।वाहन चालकों की जब शुगर और हाइपर टेंशन की बीमारी जांच की गई तो उसमें 18 को डायबिटीज,इतने ही मरीजों को हाइपर टेंशन और 27 की नजर में कमजोर पाई गई।
स्वास्थ्य परीक्षण शिविर
परीक्षण में 2 बस ड्राइवर ऐसे भी निकले जिनकी आंखों से दूर का साफ नहीं दिखाई नहीं देता
वाहन चालकों का नेत्र परीक्षण करते डॉक्टर।
50 फीसदी ऑटो चालकों की आंखों में परेशानी
शिविर में आंखों का परीक्षण मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टर गिरीश चतुर्वेदी ने अपनी टीम ,हरिओम श्रीवास्तव,डॉ संजय शाक्य के साथ मिलकर किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि जिन ऑटो चालकों की आंखों का वह परीक्षण कर रहे हैं वह ऑटो चालक आंखों की बीमारी से ग्रसित हैं। ऐसे 50 फीसदी ऑटो चालकों की आंखों में यह बीमारी आई है। जिसमें चलते समय उनकी आंखों के सामने एक दम अंधेरा छा जाना,आंखों से लगातार पानी आना,आंखों से कम दिखाई देना और आंखों में मोतियाबिंद के प्रारंभिक लक्षण पाए जाना। इन सब लक्षणों से जाहिर होता है कि मरीज आंखों की बीमारी के ज्यादा हैं।इसके साथ ही इन मरीजों को आंखों का चश्मा लगाने की नसीहत भी दी गई। इसके साथ यह भी बताया गया कि यदि उपचार समय से इन ऑटो चालकों ने नहीं लिया तो वह आंखों की गंभीर बीमारी हो जाने के साथ वाहन को चलाने में पूरी तरह से अस्वस्थ होकर अनफिट हो जाएंगे।
स्वीकारा, नशा करते हैं
शिविर के दौरान ऑटो और बस चालकों में 18 मरीज ऐसे भी चिन्हित हुए जिनको डायबिटीज और हायपर टेंशन की बीमारी थी। इन मरीजों का परीक्षण करने वाले मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टर सुनील तोमर ने कहा कि इनको नशा न करने की नसीहत दी गई। दो मरीजों ने नाम न बताने की बात कह डॉक्टर को बताया कि वह शौकिया तौर पर कभी कभी शराब पी लेते हैं, लेकिन इसकी आदत नहीं हैं। इस पर डॉक्टर तोमर ने कहा कि वाहन चलाते वक्त नशा न करें।
सिगरेट बीड़ी में निकोटिन जो आंखों के लिए घातक
डॉ गिरीश चतुर्वेदी ने इन ऑटो चालकों और बस चालकों को बताया कि सिगरेट और बीड़ी में निकोटिन नाम का तत्व होता है। यह आंखों के लिए हानिकारक होता है। ऑटो चालक यदि इस नशे की चपेट में हैं तो वह स्वयं को तो नुकसान पहुंचा ही रहे हैं।
यह नसीहत भी दी
वाहन चालकों को नशा न करने की सलाह दी है
यह खुलासा तब हुआ जब सोमवार को नए बस स्टैंड परिसर में यातायात विभाग ने यातायात सप्ताह के अंतर्गत बस और ऑटो चालकों की आंखों का परीक्षण कराया। 50 फीसदी से अधिक ऑटो चालकों की आंखों में कुछ न कुछ परेशानी पाई गई वहीं 2 बस चालक ऐसे भी निकले जिनकी आंखों से दूर का साफ नहीं दिखाई नहीं देता है। इन चालकों को दूर दृष्टि का चश्मा लगाने की नसीहत डॉक्टर्स ने दी।वाहन चालकों की जब शुगर और हाइपर टेंशन की बीमारी जांच की गई तो उसमें 18 को डायबिटीज,इतने ही मरीजों को हाइपर टेंशन और 27 की नजर में कमजोर पाई गई।
स्वास्थ्य परीक्षण शिविर
परीक्षण में 2 बस ड्राइवर ऐसे भी निकले जिनकी आंखों से दूर का साफ नहीं दिखाई नहीं देता
वाहन चालकों का नेत्र परीक्षण करते डॉक्टर।
50 फीसदी ऑटो चालकों की आंखों में परेशानी
शिविर में आंखों का परीक्षण मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टर गिरीश चतुर्वेदी ने अपनी टीम ,हरिओम श्रीवास्तव,डॉ संजय शाक्य के साथ मिलकर किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि जिन ऑटो चालकों की आंखों का वह परीक्षण कर रहे हैं वह ऑटो चालक आंखों की बीमारी से ग्रसित हैं। ऐसे 50 फीसदी ऑटो चालकों की आंखों में यह बीमारी आई है। जिसमें चलते समय उनकी आंखों के सामने एक दम अंधेरा छा जाना,आंखों से लगातार पानी आना,आंखों से कम दिखाई देना और आंखों में मोतियाबिंद के प्रारंभिक लक्षण पाए जाना। इन सब लक्षणों से जाहिर होता है कि मरीज आंखों की बीमारी के ज्यादा हैं।इसके साथ ही इन मरीजों को आंखों का चश्मा लगाने की नसीहत भी दी गई। इसके साथ यह भी बताया गया कि यदि उपचार समय से इन ऑटो चालकों ने नहीं लिया तो वह आंखों की गंभीर बीमारी हो जाने के साथ वाहन को चलाने में पूरी तरह से अस्वस्थ होकर अनफिट हो जाएंगे।
स्वीकारा, नशा करते हैं
शिविर के दौरान ऑटो और बस चालकों में 18 मरीज ऐसे भी चिन्हित हुए जिनको डायबिटीज और हायपर टेंशन की बीमारी थी। इन मरीजों का परीक्षण करने वाले मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ डॉक्टर सुनील तोमर ने कहा कि इनको नशा न करने की नसीहत दी गई। दो मरीजों ने नाम न बताने की बात कह डॉक्टर को बताया कि वह शौकिया तौर पर कभी कभी शराब पी लेते हैं, लेकिन इसकी आदत नहीं हैं। इस पर डॉक्टर तोमर ने कहा कि वाहन चलाते वक्त नशा न करें।
सिगरेट बीड़ी में निकोटिन जो आंखों के लिए घातक
डॉ गिरीश चतुर्वेदी ने इन ऑटो चालकों और बस चालकों को बताया कि सिगरेट और बीड़ी में निकोटिन नाम का तत्व होता है। यह आंखों के लिए हानिकारक होता है। ऑटो चालक यदि इस नशे की चपेट में हैं तो वह स्वयं को तो नुकसान पहुंचा ही रहे हैं।
यह नसीहत भी दी
वाहन चालकों को नशा न करने की सलाह दी है